Adhoori Kahani..

लखनऊ जाने के लिए सभी बस का इंतज़ार कर रहे थे..मेरे पास मेरे दोस्त की एक एक्स्ट्रा टिकट थी, सोचा किसी ज़रूरत मंद को दे दूँगा, बस आई और जैसे ही मैं गेट की तरफ बढ़ा कंडक्टर ने कहा टिकट दिखाओ, मैंने झट से टिकट उसके हाथ में देदी टिकट देखते ही उसने आवाज़ लगाई अरे भाई ये टिकट तो कल की है! मेरी आंख झट से खुली…और आँख खुलते ही मैंने खुद को बस की सीट पे पाया, सुबह हो चुकी थी मैंने अपने शर्ट की जेब चेक की, और ये क्या उसमें टिकट पे कल की ही तारीख थी..बस में सफर करते-करते अगले दिन की सुबह भी हो चली, और यहाँ मैं सपने में एक दिन पुरानी टिकट लिए बस ढूंढ रहा था, एक सफर में अधूरा सपना भी एक अधूरी कहानी ही तो है!